कर्बला (Karbala)
लेखक: मुंशी प्रेमचंद
भाषा: हिंदी
प्रकाशन वर्ष: 1924 (लगभग)
शैली: ऐतिहासिक और धार्मिक नाटक
पुस्तक का परिचय:
"कर्बला" मुंशी प्रेमचंद का एक प्रसिद्ध नाटक है, जिसमें उन्होंने इस्लाम के इतिहास में कर्बला की लड़ाई को केंद्र में रखा है। इस नाटक के माध्यम से प्रेमचंद ने मानवता, बलिदान, और न्याय के आदर्शों को उजागर किया है। कर्बला की घटना, जिसमें इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति दी, को प्रेमचंद ने अत्यंत संवेदनशीलता और साहित्यिक गहराई के साथ प्रस्तुत किया है।
कहानी का सारांश:
कर्बला की कहानी इस्लामी इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना पर आधारित है। यह घटना 680 ईस्वी में इराक के कर्बला नामक स्थान पर घटी थी।
कहानी के केंद्र में इमाम हुसैन, पैगंबर मुहम्मद के नाती, और उनके अनुयायियों का संघर्ष है। यज़ीद, जो उस समय का खलीफा था, ने सत्ता के लिए अन्याय और अत्याचार का सहारा लिया। इमाम हुसैन ने यज़ीद की अन्यायपूर्ण सत्ता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
हुसैन और उनके साथियों ने सत्य और न्याय के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। उनकी यह लड़ाई मानवता और नैतिकता के आदर्शों की रक्षा के लिए थी। यह नाटक उनकी वीरता, बलिदान, और अन्याय के खिलाफ उनके अडिग संघर्ष को चित्रित करता है।
मुख्य पात्र:
-
इमाम हुसैन:
- नाटक के नायक, जो सत्य और न्याय के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं।
-
यज़ीद:
- खलीफा, जो सत्ता के लिए अन्याय और अत्याचार करता है।
-
हुसैन के साथी:
- वे लोग जो इमाम हुसैन के साथ कर्बला के युद्ध में शामिल हुए।
-
हुसैन का परिवार:
- उनकी पत्नी, बहनें, और बच्चे, जिन्होंने बलिदान के इस संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख विषय:
-
सत्य और न्याय का संघर्ष:
- कर्बला की कहानी सत्य के लिए अन्याय के खिलाफ लड़ने का प्रतीक है।
-
बलिदान का महत्व:
- इमाम हुसैन और उनके साथियों का बलिदान मानवता और नैतिकता के लिए प्रेरणादायक है।
-
धार्मिक और नैतिक मूल्य:
- प्रेमचंद ने इस नाटक में नैतिकता और आध्यात्मिकता के गहरे आदर्शों को प्रस्तुत किया है।
-
सत्ता और राजनीति:
- सत्ता के लिए किए गए अन्याय और उसके खिलाफ संघर्ष को दिखाया गया है।
लेखन शैली:
-
भावनात्मक गहराई:
- प्रेमचंद ने पात्रों के मनोभावों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया है।
-
नाटक का स्वरूप:
- संवाद प्रधान रचना, जो पाठकों और दर्शकों को सीधे प्रभावित करती है।
-
ऐतिहासिक यथार्थवाद:
- घटना का सजीव और प्रामाणिक वर्णन।
पाठकों के लिए संदेश:
- अन्याय के खिलाफ खड़ा होना नैतिक रूप से सही है, भले ही इसके लिए बड़े बलिदान क्यों न देने पड़ें।
- सत्य, न्याय, और मानवता के आदर्श किसी भी धर्म और समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं।
- कर्बला की घटना केवल इस्लामी इतिहास का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह मानवता और बलिदान का सार्वभौमिक प्रतीक है।
क्यों पढ़ें "कर्बला"?
- यह नाटक केवल एक धार्मिक घटना को नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों और आदर्शों को प्रस्तुत करता है।
- प्रेमचंद की लेखनी इस्लामी इतिहास की इस घटना को सभी धर्मों और समुदायों के लिए प्रासंगिक बनाती है।
- यह नाटक सत्य, साहस, और बलिदान की प्रेरणा देता है।
पुस्तक का महत्व:
"कर्बला" मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक और नैतिक दृष्टि का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह नाटक सत्य और न्याय की सार्वभौमिक भावना को प्रतिबिंबित करता है और आज भी प्रासंगिक है।
"कर्बला" पढ़ें और सत्य, साहस, और बलिदान की इस अनोखी कहानी से प्रेरणा लें।
Shipping policy
BINDASS BOOKS - SHIPPING POLICY
Standard Shipping:
- Orders delivered by Indian courier service.
- Shipping times are estimates; factors like weather, holidays, and customs may affect delivery.
- Expedited shipping available; contact us for details.
Processing and Delivery:
- Usually ships within 5-7 Business Days across India.
- Allow 1-2 days for order processing.
- Delivery typically within 5 to 7 days.
Important Information:
- We are not responsible for undeliverable packages due to incorrect destination information.
- We verify shipping information after purchase.
- Costs for reshipping undeliverable packages will be invoiced to the customer.
- No responsibility for Duties, Taxes, or Customs fees.
Refusal or Non-Delivery:
- If a customer refuses the package or delivery attempts fail in the destination country:
- BINDASS BOOKS reserves the right to abandon the package(s).
- No responsibility for any refund in such cases.
For any queries or assistance, contact us at bindassbooks@gmail.com. Thank you for choosing Bindass Books!